Description
- बाणलिंग (नर्मदेश्वर)। पवित्र नर्मदा नदी के किनारे पाया जाने वाला एक विशेष गुणों वाला पाषाण ही बाणलिंग कहलाता है। बाणलिंग शिव का ही एक रूप माना जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह प्राकृतिक रूप से ही बनता है। इसलिए यह स्वयंसिद्ध शिवलिंग माना जाता है और इनके केवल दर्शन भर ही भाग्य संवारने वाला बताया गया है। हिन्दू धर्म के विभिन्न शास्त्रों तथा धर्मग्रंथों के अनुसार मां नर्मदा को यह वरदान प्राप्त था की नर्मदा का हर बड़ा या छोटा पाषण (पत्थर) बिना प्राण प्रतिष्ठा किये ही शिवलिंग के रूप में सर्वत्र पूजित होगा। अतः नर्मदा के हर पत्थर को नर्मदेश्वर महादेव के रूप में घर में लाकर सीधे ही पूजा अभिषेक किया जा सकता है।
- नर्मदा नदी के शिवलिंग को सीधा ही स्थापित किया जा सकता है, इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है।
- जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है।
- नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा से सुख-समृद्धि के साथ-साथ बड़ी से बड़ी मुसीबत से भी सुरक्षा मिलती है।
- नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा उपासना करने से अनेक लाभ होते हैं तथा शिव की कृपा से ज्ञान की वृद्धि होती है।
- इस शिवलिंग को घर में स्थापित करने से तथा नित्य पूजा करने से सब प्रकार की सुख समृद्धि प्राप्त होती है। भगवान शिव की कृपा से दुःख-दरिद्रता दूर होकर वैभव की प्राप्ति होती है।
- नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा से अनेक जन्मों के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं।
- नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाली व अपार सुख देने वाली है।
- नर्मदेश्वर शिवलिंग पर यदि रोजाना ‘त्र्यम्बकं मन्त्र’ बोलते हुए जल की धारा चढ़ाई जाए तो रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
- नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा से धन-ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष प्राप्त होता है।
- सहस्त्रों धातुलिंगों के पूजन का जो फल होता है उससे सौ गुना अधिक मिट्टी के लिंग के पूजन से होता है। हजारों मिट्टी के लिंगों के पूजन का जो फल होता है उससे सौ गुना अधिक फल बाणलिंग (नर्मदेश्वर) के पूजन से होता है। अत: गृहस्थ लोगों को परिवार के कल्याण के लिए, लक्ष्मी व ज्ञान की प्राप्ति व रोगों के नाश के लिए नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए।
- इस शिवलिंग पर रोज काला तिल अर्पण करने से शनि ग्रह की कृपा से सफलताएं मिलती हैं।
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