प्राचीन काल से नवग्रह की अनुकूलता के लिये रत्न पहनने का प्रचलन रहा है। सम्पन्न लोग महंगे से महंगे रत्न धारण कर लेते है। लेकिन इन रत्नों का संबंध ग्रह के शुभाशुभ प्रभाव को बढ़ाने के कारण इनकी माँग और भी ज्यादा बढ़ गई है। परन्तु सभी व्यक्ति इतने सक्षम नहीं होते कि वे ग्रह के महंगे रत्न पहन सकें। हमारे ऋषि मुनियों द्वारा शास्त्रों में प्राचीन काल में ही ग्रह राशियों के आधिकारिक वृक्ष उनके गुण देखकर निर्धारित किये थे। प्रारम्भ में सभी लोगों को महंगे रत्न उपलब्ध नहीं होते थे, अगर उपलब्ध हो भी जाए तो सभी जगह प्रमाणिकता नहीं मिल पाती हैं , तब वे दिव्य वृक्षराज पेड़ की जड़ धारण करते थे। आज भी कुछ मूर्धन्य सज्जन वृक्ष की जड़ को रत्नों की जगह अपनाते है। अगर शास्त्रीय विधिविधान से जड़ धारण की जाए तो रत्नों की ही तरह यह दिव्य जड़ी भी सत्प्रतिशत पूर्ण लाभ देती है।

हमारे जीवन में जो भी घटित होता है वह नौ ग्रहों का ही परिणाम है। हम सभी नित्य नवग्रहों से ही प्रभावित रहते हैं। यह कवच उन सभी व्यक्तियों के लिए उपयोगी है जो नवग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों का सामना कर रहे हैं या जिन्हें नवग्रहों के अनेक अशुभ एवं अनिष्ट दोष, अशुभ दशा/महादशा, ग्रह पीड़ा, कमजोर ग्रह, मारक प्रभाव जैसा अनेक कारण परेशानी एवं समस्याओं का सामना कर रहे है। नवग्रहों की अनुकूलता, शुभता, नवग्रह संबंधित सभी प्रकार के अनिष्ट एवं अशुभ दोषों के समन / शांति एवं सम्पूर्ण शुभ फल प्राप्ति हेतु शास्त्र वर्णित सर्वश्रेष्ठ प्रमाणित कवच।

इस दिव्य कवच में शास्त्र वर्णित दिव्य औषध नवग्रह वृक्षराज की जड़ को शास्त्र निर्देशित विधि से निमंत्रण एवं निवेदन विधि उपरांत विशेष शुभ नक्षत्र, वार एवं दिवस पर लाया जाता —

जैसे, सूर्य ग्रह के लिए – मदार/बिल्वपत्र की जड़, चंद्र – पलास/खिरनी की जड़, मंगल – अनंतमूल/खैर की जड़, बुद्ध – अपामार्ग/विधायरा की जड़, गुरु – भारंगी/केला की जड़, शुक्र – सरपोंखा/बरगद की जड़, शनि – बिच्छू/शम्मी की जड़, राहु – सफ़ेद चंदन/कुश की जड़, एवं केतु – अश्वगंधा/दूर्वा की जड़ को लिया गया हैं।

इस दिव्य कवच में शुद्ध प्राकृतिक भोजपत्र पर हस्त निर्मित, शुद्ध अष्टगंध से शास्त्र निर्देशित विधि विधान से विशेष शुभ नक्षत्र एवं दिवस पर नवग्रह यंत्र का निर्माण किया जाता हैं।

शास्त्र वर्णित पूर्ण विधि विधान के साथ सभी दिव्य नवग्रह औषध जड़ियों एवं नवग्रह यंत्र को शुद्ध ताम्र की ताबीज़ के साथ “तंत्र एस्ट्रो” के विद्वान् वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा आपके नाम और गोत्र से शुद्धिकरण की क्रिया, नवग्रह मंत्र द्वारा अभिमंत्रित, जागृत एवं प्राण प्रतिष्ठित किया जाता हैं ताकि इस कवच का संपूर्ण लाभ आपको मिले।

इस “दिव्य तंत्र एस्ट्रो सिद्ध नवग्रह जड़ी यंत्र कवच” को 9 ग्रह/12 राशि एवं 27 नक्षत्र को ध्यान में रख कर निर्माण किया गया हैं। यह दिव्य कवच बिल्कुल ही सुरक्षित है एवं इसका किसी भी प्रकार का कोई दुष्परिणाम नहीं है। इसे कोई भी व्यक्ति, सभी राशि एवं लग्न के जातक/जातिका धारण कर सकते हैं। इस दिव्य कवच को मात्र लागत दक्षिणा पर आप सभी के लिए उपलब्ध कराया गया हैं ताकि अधिक से अधिक सभी वर्ग के लोगों को इस दिव्य कवच का संपूर्ण लाभ मिल सके।