रंक से राजा बनाने की शक्‍ति वाले राशि भाग्य रत्न

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राशि रत्न मजबूत और शक्तिशाली रत्न होते है, जिन्हें मजबूत करने के लिए कुंडली और परिस्थितियों के अनुसार विशेष रूप से अभिमंत्रित किया जाता है। राशि व्यक्ति के व्यक्तित्व का आइना होता है। जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हम खुद को असहाय महसूस करते हैं।

ऐसे ही समय से निपटने के लिए ईश्वर ने धरती पर कई रत्न भेजे है जिन्हें हमारे ऋषि मुनियों ने राशि अनुसार अलग-अलग राशि के लिए बांटा है और कई लेखों के माध्यम से यह बताया कि यदि कोई अपनी राशि अनुसार सही रत्न धारण करता है तो उसे सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। हिन्दू ग्रंथों के अनुसार 84 प्रकार के रत्न बताए गए हैं जिनमे से 9 रत्नों का मनुष्य के जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है।

रत्नों का ग्रहों और ग्रहों का राशियों से सम्बन्ध होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 12 राशियाँ होती हैं और ज्योतिष शास्त्र में सभी 12 राशियों के लिए रत्न बताये गए हैं। राशि रत्नों को धारण करने से यश प्राप्ति में सहायक, व्यापार में वृद्धि, पारिवारिक जीवन में सुख शान्ति, भाग्य से जुड़े सभी कार्यों में सफलता हासिल होती है।

हर राशियों के जातकों की कुण्डली में अच्छे व बुरे योग भी बनते हैं। किसी भी राशि के जातक की कुण्डली में कोई दोष है या उस जातक के जीवन में उसे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो समस्याओं के निवारण के लिए अपनी राशि के अनुसार रत्न को धारण करना चाहिए। ऐसा करने से जातक को शीघ्र ही लाभ मिलेगा और सारे काम आसान हो जायेंगे।
यह सुनिश्चित करना अति आवश्यक है कि आपके लिए कोन सा रत्न सबसे उपर्युक्त होगा। हम आपको सभी बारह राशियों के रत्नों के बारे में जानकारी देंगे कि कोन व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार कोन कौन से रत्न धारण कर सकता है। तंत्र एस्ट्रो के माध्यम से सभी रत्न एवं सामग्री विधिवत सिद्ध अभिमंत्रित कर आपको दी जाती हैं ताकी उसका पूर्ण लाभ आपको मिले।

According to Hindu Astrology, 84 types of gems have been mentioned, out of which 9 gems are very important in the life of a human being. Gems are related to planets and planets to zodiac signs. According to astrology, there are 12 zodiac signs and in astrology, gems are mentioned for all 12 zodiac signs.

Wearing Rashi gems helps in achieving fame, increasing business, happiness in family life, success in all the tasks related to luck.Good and bad totals are also formed in the horoscope of the natives of every zodiac sign.

If there is any defect in the horoscope of the person of any zodiac or if he is facing troubles in the life of that person, then according to his zodiac, he should wear the gemstone according to his zodiac sign. By doing this, the person will get benefit soon and all the work will become easy.

It is very important to ensure that which gem will be the most mentioned for you. We will give you information about the gems of all twelve zodiac signs, according to which person can hold which gems according to their zodiac sign.

Rashi by Name (राशि नाम के अनुसार)

Noराशि – Rashiनाम अक्षर
1.(मेष) – Ariesचू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
2.(वृषभ) – Taurusई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
3.(मिथुन) – Geminiका, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
4.(कर्क) – Cancerही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
5.(सिंह) – Leoमा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
6.(कन्या) – Virgoढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
7.(तुला) – Libraरा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
8.(वृश्चिक) – Scorpioतो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
9.(धनु) – Sagittariusये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
10.(मकर) – Capricornusभो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
11.(कुंभ) – Aquariusगू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
12.(मीन) – Piscesदी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची
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रत्न क्या है –

रत्न वे बहुमूल्य पत्थर हैं जो बहुत प्रभावशाली और आकर्षक होते हैं। अपने ख़ास गुणों के कारण रत्न का प्रयोग आभूषण निर्माण, फैशन, डिज़ाइनिंग और ज्योतिष आदि में किया जाता है। अपनी शुरुआती अवस्था में रत्न महज़ कुछ विशेष पत्थर के टुकडे होते हैं, लेकिन बाद में इन्हें बारीक़ी से तराशकर पॉलिशिंग के बाद बेशक़ीमती पत्थर बनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार रत्न में दैवीय ऊर्जा समायी हुई होती है जिससे मनुष्य जीवन का कल्याण होता है। ज्योतिष में ग्रह शांति के विभिन्न प्रकार के रत्नों को धारण किया जाता है।

रत्न ज्योतिष का महत्व –

रत्न ज्योतिष का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। ज़िंदगी में अक्सर मनुष्य को ग्रहों के बुरे प्रभाव की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गये हैं, इनमें से एक उपाय है राशि रत्न धारण करना। रत्न को पहनने से ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। साथ ही जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। हर राशि का अलग-अलग स्वभाव होता है, ठीक उसी प्रकार हर रत्न का भी सभी बारह राशियों पर भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार रत्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ग्रह संबंधित रत्न –

सूर्य – माणिक्य
चंद्र – मोती
मंगल – मूंगा
बुध – पन्ना
बृहस्पति (गुरु) – पुखराज/फिरोज़ा
शुक्र – हीरा/फिरोज़ा/Opal
शनि – नीलम
राहु – गोमेद
केतु – लहसुनिया

राशि रत्न क्यों आवश्यक है –

जन्म कुंडली के अनुसार किसी जातक की राशि उसके जन्म के समय ग्रह और नक्षत्र की स्थिति के अनुसार पड़ती है। इस कारण प्रत्येक राशि का गुण व धर्म दूसरी राशि से भिन्न होता है। ठीक इसी प्रकार प्रत्येक रत्न की ख़ास विशेषता होती है और वह दूसरे रत्न से भिन्न होता है। राशि रत्न के अनुसार हर राशि के लिए एक विशेष रत्न होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि व्यक्ति राशि के अनुकूल रत्न धारण नहीं करता है तो उसे इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। अतः रत्न राशि के अनुसार जातकों को अपनी राशि के अनुसार रत्न को पहनना चाहिए।

रत्न का पौराणिक इतिहास –

अग्नि पुराण में ऐसा वर्णन आता है कि जब महाबली राक्षस वृत्रासुर ने देव लोक पर आक्रमण कर दिया। तब सभी देवता उसके आतंक से भयभीत होकर भगवान विष्णु के दरबार पहुँचे। उसके बाद भगवान विष्णु जी से सलाह पाकर देव लोक के स्वामी इन्द्र देव ने महर्षि दधीचि से वज्र बनाने हेतु उनकी हड्डियों का दान मांगा और इसी वज्र से देवताओं ने वृत्रासुर का संहार किया। कहा जाता है कि वज्र निर्माण के समय दधीचि की अस्थियों के कुछ अंश पृथ्वी पर गिर गए और उन्हीं से तमाम रत्नों की खानें बन गईं।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब अमृत की उत्पत्ति हुई तो उसे पाने के लिए असुरों और देवताओं के बीच संघर्ष होने लगा। इस छीना-छपटी में अमृत की कुछ बूदें पृथ्वी पर गिर गईं और इन्हीं बूंदों से रत्न की विभिन्न खानें बन गईं।

रत्न के प्रकार –

भौगोलिक दृष्टि से रत्न तीन प्रकार के होते हैं। इनमें पहला रत्न खनिज रत्न है। खनिज रत्न खदानों से प्राप्त किए जाते हैं। दूसरे जैविक रत्न होते हैं जिन्हें समुद्र से प्राप्त किया जाता है और तीसरे वनस्पतिक रत्न होते हैं। हिन्दू प्राचीन ग्रंथों में उच्च कोटि के लभभग 84 प्रकार के रत्न बताए गए हैं। समय-समय पर बहुत से नए रत्नों की खोज भी हुई है। रत्न ज्योतिष में नवरत्न के अलावा भी कई अन्य रत्न भी है। नव रत्न में गोमेद, नीलम, पन्ना, पुखराज, माणिक्य, मूँगा, मोती, लहसुनिया और हीरा रत्न आते हैं।

रत्न धारण की विधि –

रत्न के वास्तविक लाभ पाने के लिए जातकों को रत्न विधि के अनुसार ही धारण करना चाहिए। ग्रह से संबंधित रत्न को विशेष विधि से पहना जाता है। इसके तहत जिस ग्रह से संबंधित रत्न को धारण करते हैं तो उस ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप तथा पूजा पाठ आदि की जाती है। रत्न को धारण करने से पूर्व उसे गंगा जल अथवा कच्चे दूध से शुद्ध करना चाहिए और इसे विशेष दिन अथवा मुहूर्त में भी धारण किया जाता है। रत्न को किस धातु के साथ पहनना चाहिए यह भी जानना आवश्यक होता है। यदि आपको रत्न धारण करने की विधि नहीं मालूम है तो आप किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं।

रत्नों के लाभ –

ज्योतिष में प्रत्येक रत्न को किसी विशेष उद्देश्य और लाभ के लिए पहना जाता है। जो व्यक्ति रत्न को धारण करता है उसे इसके कई लाभ लाभ प्राप्त होते हैं। जैसे –

  • रत्न को ग्रह शांति के लिए धारण किया जाता है।
  • रत्न के प्रभाव व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ती होती।
  • रत्न धारण करने से जीवन पर ग्रहों के अनुकूल प्रभाव पड़ते हैं।
  • रत्न के प्रभाव से जातक के जीवन में सकारात्म बदलाव होते हैं।
  • रत्न जीवन में सुख-शांति, वैभव-समृद्धि को लेकर आते हैं।
  • हीरा रत्न वैवाहिक सुख में वृद्धि करता है।
  • माणिक्य रत्न समाज में मान-सम्मान और सार्वजनिक क्षेत्र में उच्च पद दिलाता है।
  • पुखराज रत्न ज्ञान में वृद्धि करता है।
  • मोती मन को एकाग्र करता है।
  • मूंगा के प्रभाव से व्यक्ति के साहस और आत्म विश्वास में वृद्धि होती है।
  • नीलम से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
  • जो व्यक्ति पन्ना रत्न को धारण करता है उसका बौद्धिक विकास होता है।

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